उत्तराखंड भारत का एक ऐसा राज्य है जिसे देवभूमि भी कहा जाता है| और इसी देवभूमि में एक ऐसा मंदिर है जिसे “पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर” के नाम से जाना जाता है | मान्यता है कि यहाँ भगवान गणेश का कटा हुआ सिर रखा है|
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में बना ये पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर जिसमे भक्तों कि असीम आस्था है| कुमाऊं गढ़वाल के अल्मोड़ा शहर से 160 किलोमीटर दूर पहाड़ियों के बीच गंगोलीहाट में स्थित यह गुफा किसी आश्चर्य से कम नहीं|
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार किसी भी धार्मिक कार्य के आरम्भ में सर्वप्रथम गणेश जी कि पूजा की जाती है| कथाओं में बताया जाता है कि भगवान् शिव ने क्रोध में आकर गणेश जी का सिर धड से अलग कर दिया था| इस दृश्य को देखकर माता पार्वती क्रोधित हो गयी और उन्ही के कहने पर भगवान् गणेश के धड पर हाथी का सिर लगाया गया| लेकिन जो सिर उनके शरीर से अलग किया गया था| उसको भगवान् शिव द्वारा इस गुफा में रखा था|
इस गुफा में में गणेश जी का कटा हुआ सिर मूर्ति के रूप में स्थापित है इसी शिलारूपी मूर्ति के उपर १०८ पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल है| इस ब्रहमकमल से पानी की दिव्य बूंदे भगवान् गणेश के शिलारूपी मूर्ति पर गिरती है| कहा जाता है कि उस ब्रहमकमल को शिव ने ही स्थापित किया है|
इस गुफा में चार पत्थर मौजूद है जो चारों युगों के प्रतीक के रूप में स्थापित है| कलयुग का प्रतीक माने जाने वाला पत्थर धीरे- धीरे ऊपर कि ओर उठ रहा है| ऐसी मान्यता है कि जिस दिन या पत्थर उठकर दीवार से टकराने लगेगा उस दिन ही कलयुग का अंत हो जायेगा|
इसी गुफा में बद्रीनाथ, केदारनाथ और बाबा अमरनाथ के भी दर्शन होते है| यहाँ पर बद्री पंचायत की मूर्तियाँ है| गणेशजी वरुणदेव, कुबेरजी गरुड़देव तथा माता लक्ष्मी की मूर्ति शामिल है| चट्टान पर तक्षक नाग की भी आकृति दिखाई देती है| इसी गुफा में कालभैरव की जिव्हा के भी दर्शन होते है| ऐसा माना गया है कि जो भी कालभैरव के मुहं से उनके गर्भ में प्रवेश कर पूँछ तक पहुँच जाये तो उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है|